*अखिल भारतीय कार्यशाला प्रचार प्रकोष्ठ*

 *अखिल भारतीय कार्यशाला प्रचार प्रकोष्ठ*

*दिल्ली की गुंज अब गावं गावं तक पहुंचे*

Dipak Deshpande.

*स्थान राष्ट्रीय कार्यालय दिल्ली*


१७जुलाई, नई दिल्ली, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के करोलबाग लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर स्थित केन्द्रीय कार्यालय पर ग्राहक पंचायत के प्रचार प्रकोष्ठ की कार्यशाला संपन्न हुई। उद्घाटन औपचारिकताओं के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख श्री सुनील आंबेकर जी ने कार्यशाला का प्रारंभ करते हुए, संगठन के लिए प्रचार के महत्व को समझाते हुए कहा कि प्रचार का सही उद्देश्य समाज के प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ना है। वह बोले यह कहना सही नहीं है कि संघ प्रारंभ से प्रचार से दूर रहा, हमने प्रचार के विभिन्न माध्यमों को अपनाया, जिनमें पुस्तकों तथा पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रमुखता से रहा, राष्ट्रधर्म, तरुण भारत, पांच्चजन्य, आर्गेनाइजर आदि इसी कड़ी के प्रकाशन हैं। वर्तमान में संघ प्रचार के आधुनिक माध्यमों को भी अपना रहा है।


प्रचार की दृष्टि से सभी संगठनों को सभी माध्यमों का उपयोग करना चाहिए। इस कार्य के लिए केन्द्र तथा प्रांत स्तर पर प्रचार टोली का गठन कर कार्य विभाजन करना चाहिए, टोली में लगभग 10 सदस्य हों। सभी कार्यक्रमों की विभिन्न प्रचार माध्यमों से रिपोर्टिंग की जाये, रिपोर्टिंग करते समय प्रचार टोली इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कार्यक्रम के साथ साथ संगठन के नीति निर्धारित तत्वों को भी प्रचार में सम्मिलित किया जाये, ताकि संगठन के उद्देश्यों का सही स्वरूप लोगों के सामने ले जाया जा सके, इस कार्य को सफलता से करने के लिए आवश्यक है कि प्रचार टोली समाचार का लेखन स्वयं करवाते।

इसी के साथ यह भी आवश्यक हो जाता है कि प्रचार टोली मीडिया के निरंतर संपर्क में रहे, मीडिया से संपर्क का अर्थ रिपोर्टर, संपादक तथा मीडिया मालिकों के साथ संवाद करते रहना है। मीडिया में संगठन की बात रखने के लिए कार्यकर्ताओं का निर्धारण एवं उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी प्रचार प्रकोष्ठ के कार्यक्षेत्र में आता है।

इसके साथ ही सोशल मीडिया पर अपनी बात प्रभावी तरीके से रखने के वनलिए पोस्टर, बैनर, राइटअप बनाना। समाज के प्रभावी व्यक्तियों के माध्यम से अपने विषय रखवाना। विभिन्न लेखकों से संपर्क कर उनसे अपने संगठन से संबंधित विषयों पर आलेख लिखने का आग्रह कर उनके समुचित प्रचार प्रसार की टव्यवस्था करना भी प्रचार विभाग के कार्य का अंग है। प्रचार विभाग को अपने संगठन से संबंधित विभिन्न अवसरों पर प्रचार की व्यवस्था का विशेष अग्रिम प्रबंध भी करना चाहिए, इसे संगठन के वार्षिक प्रचार कार्यक्रम के निर्धारण का कलेंडर बनाना भी कह सकते हैं। 

रास्वंसं की अपनी प्रचार व्यवस्था है, प्रचार विभाग कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण तथा अन्य कार्यों में आवश्यकता पड़ने पर उनका मार्गदर्शन भी प्राप्त कर सकता है या फिर आनलाइन या प्रत्यक्ष ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की जा सकती है। श्री आंबेकर जी ने विशेष आग्रह के साथ कहा कि ग्राहकों का संगठन होने के नाते ग्राहक पंचायत को "एडवर्टाइजमेंट वाच" जैसे कार्यों को नियमित रूप से करने पर जोर देना चाहिए।

द्वितीय सत्र भी संघ प्रचार प्रमुख के द्वारा लिया गया, इस सत्र में इस बात पर विस्तृत चर्चा की गई कि किस प्रकार समाज के प्रभावी लोग अपने स्वार्थों की सिद्धि के लिए धीरे धीरे विभिन्न प्रचार एवं अन्य माध्यमों का उपयोग कर, समाज में ग़लत धारणायें विकसित करते हैं। लम्बे समय तक समाज उनकी बातों को सुन सुनकर उन्हें सत्य मानने लगता है, जबकि उन बातों का कोई सामाजिक, नैतिक, कानूनी आधार नहीं होता। वस्तुओं पर लिखी एमआरपी का उदाहरण देते हुए उन्होंने ने कहा कि ग्राहक एमआरपी को वस्तु की सही कीमत मानने लगा है, जबकि किसी वस्तु की एमआरपी निर्धारित करने के लिए कोई कानूनी या नैतिक व्यवस्था नहीं है। वस्तुओं पर उत्पादक कंपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी एमआरपी लिखने के लिए स्वतंत्र हैं। ग्राहक पंचायत को इन ग़लत धारणाओं के विरोध में लगातार, सभी उपलब्ध मंचों से ग्राहक तक सही बात पहुंचाने की आवश्यकता है, जब ग्राहक को सही बात मालूम होगी, वह उसे कहने लगेगा, तो ग़लत धारणाओं के विरोध में देश में वातावरण बनेगा तथा भ्रामक वातावरण बनाने वाले सभी लोग सही बात कहने व मानने के लिए विवश होंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य, पैक वस्तुओं की गुणवत्ता, ब्रांड वस्तुओं का बेहतर होना आदि बहुत से क्षेत्र हैं, जहां पर स्वार्थी तत्व गलत धारणाओं को स्थापित कर ग्राहकों का शोषण करने में लगे हैं।

ग्राहक पंचायत को इन ग़लत विमर्शों वह धारणाओं का विरोध बिना रुके, बिना थके, बिना निराश हुए लगातार करते रहना चाहिए। क्योंकि विमर्श एक या दो दिनों में नहीं बनता है, इसे बनाने में समय लगता है।

तीसरा सत्र संघ की प्रचार टीम के तकनीकी पक्ष से जुड़े श्री अमित जी ने लिया, उन्होंने बताया कि प्रचार से जुड़े बहुत से कार्य होते हैं, उनको समुचित तरीके से किया जा सके, अतः लगभग 10 लोगों की टोली बनाना आवश्यक है, ताकि कार्यों का वितरण कर उन्हें सही प्रकार पूरा किया जा सके। इसके लिए आवश्यक है कि हम प्रचार सामग्री का निर्माण करें, इसके लिए टोली सदस्य समाज में अपने शुभचिंतकों और प्रचार सामग्री निर्माण करना वालों की मदद ले सकते हैं।(प्रचार सामग्री से अर्थ कंटेंट जेनरेशन अर्थात लेख, फीचर, पोस्टर बैनर, वीडियो क्लिप आदि बनाना है), उनका कहना था कि प्रचार टीम के लिए यह जानकारी रखना महत्वपूर्ण है कि किस सामग्री का किस अवसर पर प्रचार माध्यमों पर उपयोग किया जाये, ताकि हमारी बात अधिक से अधिक लोगों तक प्रभावी तरीके से पंहुच सके, आवश्यक नहीं कि सभी बातें हमारे द्वारा अपने अकाउंट से ही प्रचारित की जायें, अनुभव में यह आया है कि जब हम अपनी बात समाज के प्रभावी लोगों के माध्यम से कहलवाते है, वह अधिक उपयोगी होती है। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ सत्यापित बातों को ही प्रचारित करें, तथा अपने शुभचिंतकों से भी तथ्यात्मक बातें ही कहलायेंगे, ताकि किसी के द्वारा चुनौती दिये जाने की स्थिति में हम तथ्यों की मदद से उसका मुंह बंद करा सकें। ग़लत बातें प्रचारित करने के विपरित परिणाम होते हैं, लोग उन पर ध्यान देना छोड़ देते हैं।

ग्राहक पंचायत प्रचार प्रकोष्ठ के नरेन्द्र कुलकर्णी जी ने कहा कि प्रत्येक प्रांत को एक या दो आईटी से संबंधित व्यक्ति को जोड़ना चाहिए ताकि प्रचार से संबंधित तकनीकी कार्यों में उन लोगों की मदद लेकर सही प्रकार प्रचार सामग्री का प्रक्षेपण किया जा सके।

ग्राहक पंचायत प्रचार प्रकोष्ठ प्रमुख अशोक त्रिवेदी ने इस अवसर पर कहा कि ग्राहक पंचायत का चेहरा समाज को दिखाने के लिए प्रचार विभाग की बहुत बड़ी भूमिका है। विशेष रूप से आजकल जब बड़े बड़े उत्पादक व बहुराष्ट्रीय कंपनियां ग्राहकों के बीच लगातार विमर्श चलाकर गलत धारणाएं विकसित करने में सफल हो चुके हैं। ग्राहक तब तक ग्राहक पंचायत की बात नहीं सुनेगा, जब तक हम उन ग़लत धारणाओं की वास्तविक स्थितियों से ग्राहक को परिचित नहीं करवायेंगे। यह एक या दो दिन का कार्य नहीं है, हमें इस दिशा में सतत् प्रयास करते रहना है। एक या दो दिन विषय चलाना आंदोलन की श्रेणी में आता है। परंतु ग्राहक का हृदय परिवर्तन लगातार विमर्श चलाते रहने से होता है। उन्होंने चार विषय भी प्रांतों को चिंतन कर विमर्श हेतु सामग्री बनाने के लिए देते हुए कहा कि इन विषयों को ग्राहक पंचायत अलग अलग माध्यमों से, अलग अलग तरीके अपनाते हुए, अनेकों वर्षों तक जब भी अवसर मिले चलाये। इन विषयों में, वस्तुओं की कीमत तय करने के लिए मूल्य सूत्र की रचना, वोकल बार लोकल, विज्ञापन चौकसी(Advertisement Watch) वह आनलाइन खेल हैं। जिनके बारे में ग्राहक पंचायत को लगातार मुहिम चलाते रहना है।

ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनकर सबनीश जी ने अपने समापन उद्बोधन में कहा कि प्रचार टीम ग्राहक पंचायत के कार्यों को समाज के सामने रखने का आईना है। इस प्रकोष्ठ पर ग्राहक पंचायत का समाज पर प्रभाव बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। सुबह से अनेकों विषयों पर गंभीर चर्चा हुई है। अपने अपने प्रांतों में जाकर आप सब इस बात को देखें कि हमारी बात किस प्रकार जिले वह तहसीलों में रहने वाले ग्राहकों तक पहुंचे। इस कार्य के लिए हम प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक सभी माध्यमों का पूरा उपयोग करेंगे। इस अवसर पर केन्द्रीय प्रचार टीम में दिल्ली के सर्वेश मिश्रा को सम्मिलित करने की घोषणा भी दिनकर जी ने की।

Dipak Deshpande

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